निर्माता-निर्देशक : अतुल अग्निहोत्री संगीत : सलीम-सुलैमान, साजिद-वाजिद कलाकार : सोहेल खान, ईशा कोप्पिकर, शरमन जोशी, गुल पनाग, अमृता अरोरा, सलमान खान (विशेष भूमिका), कैटरीना कैफ (विशेष भूमिका)
चूँकि अतुल अग्निहोत्री ने सलमान की बहन से शादी की है, इसलिए इस फिल्म में खान परिवार के कलाकार मौजूद हैं। सलमान और कैटरीना विशेष भूमिकाओं में नजर आएँगे। अतुल इस फिल्म के पूर्व एक फ्लॉप फिल्म बना चुके हैं। फिल्म में कॉल सेंटर में काम करने वालों की मानसिक हालात, रिश्ते, दु:ख, परिवार से दूर रहने का दर्द, प्यार, महत्वाकांक्षाएँ, काम का दबाव और खुशियों को दिखाया जाएगा। हर चरित्र की अपनी मजबूरियाँ और इच्छाएँ हैं। काम में वे इतना व्यस्त रहते हैं कि उनके पास अपने लिए समय नहीं रहता। रात में यहाँ काम करने वाले कर्मचारी दिन में अलग काम करते हैं। | ||||
(स्रोत - वेबदुनिया) |
Sunday, December 9, 2007
हैलो : वन नाइट एट कॉल सेंटर
Akshay Rocks In "WELCOME" Video
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हैलो : वन नाइट एट कॉल सेंटर
निर्माता-निर्देशक : अतुल अग्निहोत्री संगीत : सलीम-सुलैमान, साजिद-वाजिद कलाकार : सोहेल खान, ईशा कोप्पिकर, शरमन जोशी, गुल पनाग, अमृता अरोरा, सलमान खान (विशेष भूमिका), कैटरीना कैफ (विशेष भूमिका)
चूँकि अतुल अग्निहोत्री ने सलमान की बहन से शादी की है, इसलिए इस फिल्म में खान परिवार के कलाकार मौजूद हैं। सलमान और कैटरीना विशेष भूमिकाओं में नजर आएँगे। अतुल इस फिल्म के पूर्व एक फ्लॉप फिल्म बना चुके हैं। फिल्म में कॉल सेंटर में काम करने वालों की मानसिक हालात, रिश्ते, दु:ख, परिवार से दूर रहने का दर्द, प्यार, महत्वाकांक्षाएँ, काम का दबाव और खुशियों को दिखाया जाएगा। हर चरित्र की अपनी मजबूरियाँ और इच्छाएँ हैं। काम में वे इतना व्यस्त रहते हैं कि उनके पास अपने लिए समय नहीं रहता। रात में यहाँ काम करने वाले कर्मचारी दिन में अलग काम करते हैं। | ||||
(स्रोत - वेबदुनिया) |
बदलाव के दौर से गुजरते संजय गुप्ता
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(स्रोत - वेबदुनिया)
शादी के लिए वक्त नहीं : शिल्पा
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ब्रिटेन के रियल्टी टीवी शो सेलीब्रिटी बिग ब्रदर से सुर्खियों में लौटीं बालीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी जैसी मसरूफ महिला के लिए यह चौंकाने वाली बात नहीं कि उन्हें हर काम नियोजित तरीके से अन्जाम देना पड़ता है। इसी पर गौर करते हुए वह रिश्ते जोड़ने और परिवार शुरू करने को लेकर भी जल्दबाजी में नहीं दिखती। इस साल सेलीब्रिटी बिग ब्रदर में नस्ली विवाद को लेकर आकर्षण का केन्द्र बनी शिल्पा बीते 12 महीने से खासी व्यस्त हैं। इस दौरान उन्होंने एक परफ्यूम लाँच किया। एक योग वीडियो फिल्माया और अब वह बर्लिन में दिखाए जा रहे थियेटर प्रोडक्शन 'मिस बालीवुड' में नजर आ रही हैं। इसके अलावा वह जल्द ही लंदन का रुख करने वाली हैं। शिल्पा ने टेलीफोन पर दिए साक्षात्कार में एएफपी को बताया फिलहाल मेरे पास करने को बहुत कुछ है। मेरे पास काफी काम है। परिवार शुरू करने से जुड़े सवाल पर शिल्पा ने कहा वक्त ही कहाँ है। मेरे पास बिलकुल वक्त नहीं है। उनका कहना था कि मैं इस म्युजिकल (शो) के साथ व्यस्त हूँ और इसके बाद फिल्म में मसरूफ हो जाउँगी। उन्होंने कहा जाहिर तौर पर मुझे बच्चे पसंद हैं। अपने बच्चे होने पर भी मुझे काफी खुशी होगी। संभवत: अगले साल। इस बारे में देखना होगा। | |
(स्रोत - वेबदुनिया) |
स्ट्रेंजर्स : अजनबी या दोस्त?
निर्देशक : आनंद एल राय
कलाकार : केके मेनन, जिमी शेरगिल, नंदना सेन, सोनाली कुलकर्णी
'स्ट्रेंजर्स' की कहानी दो अजनबियों के इर्द-गिर्द घूमती है। इन दोनों अजनबियों की मुलाकात होती है इंग्लैंड में एक ट्रेन के बिजनेस क्लास कंपार्टमेंट में। संयोग की बात है कि दोनों भारतीय हैं।
मि. राय मैनेजमेंट की दुनिया की बहुत बड़ी हस्ती हैं। वहीं राहुल एक गुमनाम-सा लेखक हैं, जो अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा हुआ है। दोनों का व्यक्तित्व एक-दूसरे से मेल नहीं खाता। दोनों ऐसी जिंदगी जी रहे होते हैं जो उन्होंने नहीं चुनी थी।
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Friday, December 7, 2007
ऐश्वर्या की खुशी का राज
हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान ऐश ने बताया कि अपनी खुशी को बयाँ करने के लिए शब्दों की हमेशा ही कमी रहती है। वैवाहिक जीवन का मेरा यह अनुभव बेहद खूबसूरत है। हर किसी को जीवन में एक बार यह अनुभव लेना ही चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह मेरे जीवन का अनुपम अध्याय है और मैं अभिषेक के साथ अपने जीवन के बेहद हसीन पल बिता रही हूँ। इससे अधिक मैं अपनी खुशियों के बारे में और क्या कह सकती हूँ।
फिल्म उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि है कि ऐश और अभिषेक की जोड़ी बॉलीवुड में इस कदर लोकप्रिय है, जिस तरह हॉलीवुड में अभिनेता ब्रैड पिट और अभिनेत्री एंजिलिना जोली की जोड़ी।
सगाई कर रहे हैं बिपाशा और जॉन?
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पिछले दिनों दोनों के रिश्ते में दरार की खबरें आई थीं। बिपाशा का नाम सैफ अली के साथ भी जोड़ा गया था। लगता है कि उन्होंने सब कुछ भूलाकर अब हमेशा के लिए एक-दूसरे का हो जाने का फैसला किया है।
शराब पीकर शूटिंग ?
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'राइज़ एंड फॉल' कहानी में संजय दत्त और सुनील शेट्टी नजर आएँगे। इन दोनों अभिनेताओं ने तीन दिन तक बारिश में भीगकर शूटिंग की। लगातार भीगने की वजह से संजय दत्त को जुखाम हो गया, वहीं सुनील शेट्टी को कुछ नहीं हुआ। सुनील इतने मजबूत नहीं है, बल्कि उन्होंने अपने सूट के अंदर रेन जैकेट पहनी हुई थी। संजू के मुकाबले सुनील चतुर निकले।
इसी फिल्म के जरिए दो महान कलाकारों को फिर साथ काम करने का मौका 18 वर्ष बाद मिला। शबाना आजमी और नसीरुद्दीन शाह ने कई श्रेष्ठ फिल्मों में साथ काम किया है, लेकिन पिछले 18 वर्ष से उन्हें साथ काम करने का अवसर नहीं मिला। 'राइस एंड प्लेट' नामक कहानी में दोनों साथ नजर आएँगे। अपनी भूमिका को प्रभावशाली बनाने के लिए शबाना ने तमिल शिक्षक की मदद ली।
अपने चरित्र को जीवंत बनाने के लिए कलाकार क्या-क्या नहीं करते। जिमी शेरगिल ने सचमुच में शराब पीकर शूटिंग की क्योंकि उन्हें लगा कि इससे उनका किरदार प्रभावशाली दिखेगा।
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मि. व्हाइट मि. ब्लैक
IFM
हास्य के साथ अपराध के तत्व मिलाकर मि.व्हाइट मि.ब्लैक की कहानी लिखी गई है। गोपी (सुनील शेट्टी) गोवा आ पहुँचता है अपने दोस्त किशन (अरशद वारसी) की तलाश में। इस तलाशी की वजह है गोपी के पिता, जो मरते समय गोपी को कहते हैं कि जमीन का एक छोटा-सा टुकड़ा किशन को देना है। गोपी ठहरा आज्ञाकारी बेटा। किशन चलता-पुर्जा किस्म का आदमी है। लोगों को बेवकूफ बनाकर वह पैसे कमाता है। इसमें उसे सहयोग देता है बाबू (अतुल काले)। किशन यह बात अनुराधा (रश्मि निगम) से छुपाकर रखता है। वह जब इस बारे में पूछती है तो वह कह देता है कि यह घटिया काम वह नहीं बल्कि उसका हमशक्ल भाई हरी करता है। किशन को गोपी ढूँढ निकालता है, लेकिन किशन जमीन के उस छोटे से टुकड़े के लिए होशियारपुर नहीं जाना चाहता। गोपी भी ठान लेता है कि वह किशन को लेकर ही जाएगा और अपने पिता की इच्छा पूरी करेगा। किशन, गोपी से बचकर भागता रहता है। किशन को पकड़ने में गोपी की मदद केजी रिसोर्ट के मालिक की बेटी तान्या (अनिष्का खोसला) करती है।
IFM
कहानी में मोड़ तब आता है जब पता चलता है कि तीन खूबसूरत लड़कियों ने मूल्यवान हीरे चुरा लिए हैं। उन तीनों लड़कियों के केजी रिसोर्ट में छिपे होने की खबर आती है। किशन को पैसा कमाने का मौका मिल जाता है। वह वहाँ पहुँचता है। उसके पीछे-पीछे गोपी और तान्या भी वहाँ पहुँचते हैं। सभी के वहाँ पहुँचने पर विचित्र परिस्थितियाँ पैदा होती हैं। गोपी अपने आपको उस गैंग का हिस्सा पाता है। कैसे हुआ ये सब? किसे मिलेंगे हीरे? क्या किशन को गोपी होशियारपुर ले जा पाएगा? उस जमीन में क्या राज छिपा हुआ है? सारे सवालों के जवाब मिलेंगे ‘मि.व्हाइट मि. ब्लैक’ में।
Thursday, December 6, 2007
नो स्मोकिंग : अधबुझी सिगरेट
निर्माता : विशाल भारद्वाज - कुमार मंगत
निर्देशक : अनुराग कश्यप
गीतकार : गुलजार
संगीतकार : विशाल भारद्वाज
कलाकार : जॉन अब्राहम, आयशा टाकिया, रणवीर शौरी, परेश रावल
रेटिंग : 2/5
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धूम्रपान के खिलाफ बनाई गई यह फिल्म मध्यांतर तक बेहतर फिल्म की संभावनाएँ जगाती है। मध्यांतर के बाद लेखक और निर्देशक के रूप में अनुराग ने फिल्म को इस तरह उलझा दिया है कि सब कुछ गड़बड़ हो गया है।
के (जॉन अब्राहम) की जिंदगी में सिगरेट का पहला स्थान है। उसके बाद उसकी पत्नी अंजली (आयशा टाकिया) और दोस्तों का नंबर आता है। के जिंदगी अपने हिसाब से जीना पसंद करता है और उसे किसी की दखलंदाजी पसंद नहीं है। अंजली के कहने पर भी वह सिगरेट पीना नहीं छोड़ता। आखिरकार अंजली ही घर छोड़कर चली जाती है।
अंजली के जाने के बाद के सिगरेट छोड़ने की सोचता है और बाबा बंगाली (परेश रावल) के पास जाता है। बाबा के चंगुल में जो फँस जाता है उसे सिगरेट पीना छोड़नी ही पड़ती है। यदि बाबा की बात नहीं मानी गई तो आपके साथ कोई भी हादसा घटित हो सकता है।
अनुराग ने मध्यांतर के पहले वाला हिस्सा बेहद उम्दा बनाया है। इस हिस्से की कहानी में उन्होंने अपनी कल्पनाओं के खूब रंग भरे हैं। फिल्म का पहला दृश्य जो कि जॉन द्वारा देखा गया सपना है, बेहद उम्दा है।
इसके बाद जॉन जब बाबा बंगाली से मिलने पहली बार प्रयोगशाला जाता है, उस दृश्य में भी कल्पनाशीलता नजर आती है। बाबा बंगाली की प्रयोगशाला किसी अजूबे से कम नहीं है। जहाँ एक ओर कबाड़खाना है, वहीं दूसरी ओर बुर्का पहनकर फोन पर बात करने वाली लड़कियाँ हैं।
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अपना माल बेचने के लिए सदस्य बनाने वाली कंपनियों से भी अनुराग ने प्रेरणा ली है। बाबा बंगाली का कहा एक बार नहीं माना गया तो वे उंगलियाँ काट लेते हैं। यदि आप उनके पास एक ग्राहक भेजते हैं तो वे आपकी उंगलियाँ लौटा देते हैं।
एक दृश्य में उन्होंने जॉन और रणवीर शौरी को बच्चा बताया है, जब उन्होंने पहली बार सिगरेट पी थी। इस दृश्य को उन्होंने नाम दिया है 'क्योंकि बचपन भी कभी नॉटी था….'। शायद उनका इशारा एकता कपूर के धारावाहिकों की तरफ था।
अनुराग का कहना है कि जब एकता के धारावाहिक में बीस वर्ष के लोग दादा-दादी बन जाते हैं तो मेरी फिल्म में तीस वर्ष का कलाकार बारह वर्ष का बच्चा भी बन सकता है। फ्लैशबेक दृश्यों को उन्होंने पुरानी फिल्मों जैसा फिल्माया है। इन दृश्यों के माध्यम से अनुराग ने अच्छा हास्य रचा है।
मध्यांतर के बाद वाले हिस्से में उनकी कहानी कहने का अंदाज बेहद कठिन हो गया। यहाँ पर कहानी पर प्रयोग हावी हो गए। ऐसा लगा जैसे कि सरपट सड़क पर दौड़ने वाली गाड़ी ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलने लगी। इस वजह से फिल्म का समग्र प्रभाव बेहद कम हो गया।
जॉन अब्राहम ने अपना रोल पूरी गंभीरता से निभाया है। निर्देशक ने उनके व्यक्तित्व का भरपूर उपयोग किया है। आयशा टाकिया ने सिर्फ काम निपटाया। परेश रावल अपने अभिनय में कुछ नयापन नहीं ला पाए।
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बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का कामयाब होना मुश्किल है, लेकिन इस फिल्म को देख कुछ लोग धूम्रपान करना बंद कर देते हैं तो इसे फिल्म की कामयाबी माना जाएगा।
तारे जमीन पर : हर बच्चा महत्वपूर्ण ***
निर्माता-निर्देशक : आमिर खान
गीत : प्रसून जोशी
संगीत : शंकर-अहसान-लॉय
कलाकार : आमिर खान, दर्शील सफारी, तान्या छेडा, सचेत इंजीनियर, टिस्का चोपड़ा, विपिन शर्मा
नन्हे-मुन्ने बच्चे हमारे देश की जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा हैं, लेकिन इनके लायक फिल्में बहुत कम बनती हैं। आमिर खान के साहस की प्रशंसा की जानी चाहिए कि उन्होंने अपने निर्देशन में बनी पहली फिल्म 'तारे जमीन पर' एक बच्चे को केन्द्र में रखकर बनाई है। वे चाहते तो एक कमर्शियल फिल्म भी बना सकते थे। इस फिल्म के जरिए उन्होंने बच्चों के भीतर झाँकने की कोशिश की है।
कहानी का मुख्य पात्र है ईशान अवस्थी (दर्शील सफारी)। उसकी उम्र है आठ वर्ष। बेचारा ईशान, है तो नन्हीं जान, लेकिन उसके कंधों पर पापा-मम्मी के ढेर सारे हैं अरमान। वे चाहते हैं कि ईशान अपने होमवर्क में रूचि लें। परीक्षा में अच्छे नंबर लाएँ। हमेशा साफ-सफाई का ध्यान रखें। ईशान कोशिश करता है, लेकिन फिर भी वह उन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाता।
ईशान की जिंदगी में पतंग, रंग और मछलियों का महत्व है। वह इनके बीच बेहद खुश रहता है। उसे पता नहीं है कि वयस्कों की जिंदगी में इन्हें महत्वहीन माना जाता है। लाख समझाने के बावजूद भी जब ईशान अपने माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाता तो वे उसे बोर्डिंग स्कूल भेजने का निर्णय लेते हैं। उनका मानना है कि दूर रहकर ईशान अनुशासित हो जाएगा। कुछ सीख पाएगा।
ईशान नए स्कूल में जाता है, लेकिन उसमें कोई बदलाव नहीं आता। उसे अपने घर की याद सताती है। एक दिन स्कूल में नए आर्ट टीचर आते हैं। नाम है उनका रामशंकर निकुंभ (आमिर खान)। वे आम टीचर से बिलकुल अलग हैं। उनके पढ़ाने के नियम अलग हैं। वे बच्चों से उनकी कल्पनाएँ, उनके सपने और उनके विचार पूछते हैं और उसके अनुसार पढ़ाते हैं।
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पात्र-परिचय
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योहान अवस्थी : ये हैं मेरे भाई, जिन्हें मैं दादा कहता हूँ। दादा बहुत अच्छे विद्यार्थी हैं। उन्होंने ढेर सारे पुरस्कार जीते हैं। मुझे उन पर गर्व है। वे भी मेरी देखभाल करते हैं और मुझे प्यार करते हैं। आय लव यू दादा।
मेरे टीचर : वे हमेशा मेरे साथ दुर्व्यवहार करते हैं। मेरी कॉपी में लाल निशान लगाना उन्हें बेहद पसंद है।
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राजन दामोदरन : राजन मेरा सबसे पक्का दोस्त हैं। वह बहुत बुद्धिमान है और टीचर्स के सारे सवालों का जवाब उसके पास है। वह हमेशा मेरी मदद करता है।