Friday, December 7, 2007

मि. व्हाइट मि. ब्लैक

निर्माता : बिपिन शाह निर्देशक : दीपक शिवदासानी संगीत : जतिन पंडित, ललित पंडित, तौसिफ अख्तर कलाकार : सुनील शेट्टी, अरशद वारसी, संध्या मृदुल, अनिष्का खोसला
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हास्य के साथ अपराध के तत्व मिलाकर मि.व्हाइट मि.ब्लैक की कहानी लिखी गई है। गोपी (सुनील शेट्टी) गोवा आ पहुँचता है अपने दोस्त किशन (अरशद वारसी) की तलाश में। इस तलाशी की वजह है गोपी के पिता, जो मरते समय गोपी को कहते हैं कि जमीन का एक छोटा-सा टुकड़ा किशन को देना है। गोपी ठहरा आज्ञाकारी बेटा। किशन चलता-पुर्जा किस्म का आदमी है। लोगों को बेवकूफ बनाकर वह पैसे कमाता है। इसमें उसे सहयोग देता है बाबू (अतुल काले)। किशन यह बात अनुराधा (रश्मि निगम) से छुपाकर रखता है। वह जब इस बारे में पूछती है तो वह कह देता है ‍कि यह घटिया काम वह नहीं बल्कि उसका हमशक्ल भाई हरी करता है। किशन को गोपी ढूँढ निकालता है, लेकिन किशन जमीन के उस छोटे से टुकड़े के लिए होशियारपुर नहीं जाना चाहता। गोपी भी ठान लेता है कि वह किशन को लेकर ही जाएगा और अपने पिता की इच्छा पूरी करेगा। किशन, गोपी से बचकर भागता रहता है। किशन को पकड़ने में गोपी की मदद केजी रिसोर्ट के मालिक की बेटी तान्या (अनिष्का खोसला) करती है।
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कहानी में मोड़ तब आता है जब पता चलता है कि तीन खूबसूरत लड़कियों ने मूल्यवान हीरे चुरा लिए हैं। उन तीनों लड़कियों के केजी रिसोर्ट में छिपे होने की खबर आती है। किशन को पैसा कमाने का मौका मिल जाता है। वह वहाँ पहुँचता है। उसके पीछे-पीछे गोपी और तान्या भी वहाँ पहुँचते हैं। सभी के वहाँ पहुँचने पर विचित्र परिस्थितियाँ पैदा होती हैं। गोपी अपने आपको उस गैंग का हिस्सा पाता है। कैसे हुआ ये सब? किसे मिलेंगे हीरे? क्या किशन को गोपी होशियारपुर ले जा पाएगा? उस जमीन में क्या राज छिपा हुआ है? सारे सवालों के जवाब मिलेंगे ‘मि.व्हाइट मि. ब्लैक’ में।

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