Monday, October 8, 2007

मुलाकात : सोनम कपूर से

"साँवरिया" दिल से बनाई गई फिल्म है : सोनम कपूर

Sonam

          अनिल कपूर की बेटी सोनम कपूर ने कभी सोचा भी नहीं था कि वे अभिनय की दुनिया में कदम रखेंगी। ‘ब्लैक’ में संजय लीला भंसाली की सहायक रह चुकी सोनम को अचानक एक दिन संजय ने ‘साँवरिया’ की नायिका बना दिया। पेश है सोनम से बातचीत :

क्या इससे अच्छी शुरूआत आप को मिल सकती थी?

   -   यह सर्वश्रेष्ठ शुरुआत है। संजय लीला भंसाली के साथ काम करना हर कलाकार का सपना होता है। मुझे अपनी पहली ‍ही फिल्म में संजय जैसे महान निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला है। इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। इस फिल्म में मेरा किरदार बेहद सशक्त है।

संजय लीला भंसाली के बारे में कुछ बताइए।

   -   मैं उन्हें अपना गुरु मानती हूँ। जब मैं उनकी सहायक निर्देशक थी, तब मुझे उनसे सीखने को मिला। अभिनय करना भी उन्हीं से सीखा। जब कभी सलाह की जरूरत पड़ती है तो उनसे ही बात करती हूँ। वे भावुक इनसान हैं और हर काम दिल से करते हैं। ‘साँवरिया’ उन्होंने दिल से बनाई है। उनकी बनाई हुई प्रत्येक फिल्म उम्दा है।


सुना है कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान आपको भंसाली की डाँट भी पड़ी है?

  -   सही सुना है। यदि आप ठीक से काम नहीं करते तो स्कूल में भी टीचर की डाँट खाना पड़ती है। फिल्म की शूटिंग के दौरान कभी कुछ गलत काम होता था तो मुझे भी नाराजी का सामना करना पड़ता था।

दर्शकों को आपसे बेहद आशाएँ हैं।

  -   अनिल कपूर जैसे स्टार की बेटी होने के कारण दर्शकों को मुझसे ढेर सारी उम्मीदें हैं। उनकी बराबरी करने की तो मैं सोच भी नहीं सकती। मैं भगवान से प्रार्थना करती हूँ कि ‘साँवरिया’ हिट हो और मैं उम्मीदों पर खरा उतर सकूँ।


सलमान और रानी के साथ अभिनय करना कैसा लगा?

  -   मैं सलमान और रानी की बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ और इनके साथ ही मुझे पहली फिल्म में काम करने का अवसर मिला। रानी महान अभिनेत्री हैं। सलमान को तो मैं बचपन से पसंद करती हूँ। वे इतने हैंडसम हैं कि हर लड़की उन्हें पसंद करती है। मेरे पिता के वे बेहद अच्छे दोस्त हैं। सेट पर उन्होंने हमेशा मेरा खयाल रखा।


रणबीर की कौन-सी आदत आपको नापसंद है?

  -   उसमें कोई बुरी आदत नहीं है।


आपने अभिनय और निर्देशन दोनों किया है। कौन-सा काम आसान लगा? 
 -  दोनों में चुनौतियाँ हैं।


क्या भविष्य में आप फिल्म निर्देशक बनना पसंद करेंगी?

  -   फिलहाल तो चार-पाँच वर्ष मैं अभिनय पर ध्यान देना पसंद करूँगी। उसके बाद हो सकता है फिल्म निर्देशित करूँ।


सुना है आप कविताएँ भी लिखती हैं और पेंटिंग भी करती हैं?

  -   मैं बहुत रोमांटिक किस्म की लड़की हूँ। हमेशा खयालों में खोई रहती हूँ, इसलिए कविताएँ भी लिखती हूँ।

(स्रोत -वेबदुनिया)

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