Saturday, September 1, 2007

धमाल : चार दोस्तों की कहानी

- समय ताम्रकर

निर्माता : अशोक ठाकरिया-इंद्रकुमार
निर्देशक : इंद्रकुमार
संगीतकार : अदनान सामी
कलाकार : संजय दत्त, अरशद वारसी, रितेश देशमुख, आशीष चौधरी, जावेद जाफरी

Dhamaal

इंद्रकुमार द्वारा निर्देशित फिल्म 'धमाल' की खास बात यह है कि इसमें कोई नायिका नहीं है। इंद्रकुमार का कहना है कि फिल्म की कहानी में नायिका की कोई जरूरत महसूस नहीं हुई और दर्शक भी नायिका की कमी को महसूस नहीं करेंगे।
फिल्म की कहानी चार दोस्तों के आसपास घूमती है। चारों में गहरी दोस्ती है। मानव श्रीवास्तव (जावेद जाफरी) को दुनिया का सबसे बड़ा मूर्ख कहा जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है। वह कितना बड़ा मूर्ख है ये खुद उसे भी पता नहीं है। उसके बड़े भाई आदित्य श्रीवास्तव उर्फ आदि (अरशद वारसी) को इन चारों के बीच सबसे बुद्धिमान माना जाता है। उसे सब कुछ पता है, लेकिन आधा-अधूरा। अधूरे ज्ञान वाला तो मूर्ख से भी ज्यादा खतरनाक होता है।
देशबंधु रॉय उर्फ रॉय (रितेश देशमुख) भ्रम में जीने वाला इंसान है। उसे भ्रम है कि दुनिया में उससे होशियार जासूस और कोई नहीं है। बोमन कांट्रेक्टर (आशीष चौधरी) को मिस्टर डरपोक कहा जाता है। हर समय डरने वाला बोमन अपने पिता नारी कांट्रेक्टर (असरानी) से सबसे ज्यादा डरता है।
चारों साथ रहते हैं और साथ काम करते हैं। पैसा कमाने की आसान राह वे हमेशा खोजते रहते हैं। एक दिन उन्हें बोस (प्रेम चोपड़ा) मिलता है। बोस की अंतिम साँसे चल रही है। मरने के पूर्व वह कुछ ऐसा राज बता जाता है कि चारों की बाँछे खिल जाती है। उन्हें लगता है कि अब अमीर बनने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता।
दुर्भाग्य से इंसपेक्टर कबीर नायक (संजय दत्त) वहाँ आ धमकता है। वह बोस को पकड़ने की पिछले दस साल से कोशिश कर रहा है। इन चारों को बोस की लाश के पास खड़ा देख उसका दिमाग ठनकता है। वह इन चारों को ही अपराधी समझता है। किसी तरह ये चार नमूने कबीर को चकमा देकर भाग निकलते हैं।
कबीर इनका पीछा करता है। कबीर और ये चार दोस्त भागते-भागते कई हास्यास्पद परिस्थितियों से गुजरते हैं। कई उतार-चढ़ाव आते हैं जो दर्शकों को खूब हँसाते हैं।

(स्रोत - वेबदुनिया)

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