Saturday, August 11, 2007

चक दे इंडिया : सौ में से सौ - MSN INDIA

 ‘चक दे इंडिया’ के जरिये निर्देशक शिमित अमीन और लेखक जयदीप साहनी ने कई बातें कही हैं। (1) हॉकी की हमारे देश में स्थिति। (2) हॉकी खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिति। (3) एक सच्चे देशभक्त मुस्लिम को हर समय संदेह की दृष्टि से देखा जाना। (4) महिला खिलाड़ियों को पुरुषों से कमतर आंका जाना। (5) हॉकी संघ में बैठे भ्रष्ट लोग। (6) मिजोरम जैसे उत्तर-पूर्वी लोगों को हमारे देश का सदस्य नहीं माना जाना। (7) देशभक्ति। (8) मैं बिहारी हूँ, यह राजस्थानी है, सभी बोलते हैं, लेकिन वे भूल जाते हैं कि सबसे पहले वे भारतीय हैं।
ये सारी बातें कड़वी सच्चाई है और जब यह फिल्म में हो तो लोगों को कला फिल्म का आभास हो सकता है, लेकिन जयदीप और शिमित फिर गोल मार देते हैं। ये बातें उन्होंने इतने मनोरंजक तरीके से कहीं है कि सीधे दिल में उतरती हैं।
एक आम दर्शक से लेकर बुद्धिजीवी तक को फिल्म अपील करती है। छोटे-छोटे दृश्यों में कई बातें सामने आती हैं, जो निर्देशक और लेखक की सोच बयान करती हैं। कई बातें बिना संवादों के केवल दृश्यों के माध्यम से कहीं गई हैं। मसलन शाहरुख को खटारा स्कूटर पर बैठाकर निर्देशक ने भारत के श्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी की आर्थिक स्थिति बता दी है।
हॉकी हमारा राष्ट्रीय और देसी खेल है, लेकिन आज यह पिछड़ा हुआ खेल माना जाता है। इस खेल और देशभक्ति को आपस में गूँथकर निर्देशक ने इतने उम्दा तरीके से फिल्म बनाई है कि ‍सिनेमाघर में बैठकर दर्शक के अंदर देशभक्ति की भावनाएँ हिलोरे लेने लगती हैं। पटकथा एकदम कसी हुई। कोई फालतू दृश्य या संवाद नहीं। दर्शक पहली फ्रेम से ही फिल्म में खो जाता है।
कहानी को हॉकी खिलाड़ी कबीर खान के नजरिये से दिखाया गया है। खेल के दौरान एक मामूली चूक के कारण उसे गद्दार मान लिया गया। अपने इस कलंक को धोने के लिए वह एक कठिन चुनौती स्वीकार करता है। वह महिला हॉकी टीम का कोच बनकर इस ‍टीम को विश्वविजेता बनाता है।
शाहरुख खान ने बड़े ही संयत तरीके से अपनी भूमिका निभाई है। ये शाहरुख का ही कमाल है कि निर्देशक ने उन्हें अपने गुस्से के इजहार के लिए एक भी संवाद नहीं दिया। एक कलंकित खिलाड़ी का आक्रोश और कुंठा को उन्होंने सिर्फ चेहरे से व्यक्त किया है। उनकी टीम की सोलह लड़कियों ने शाहरुख को अभिनय में जबरदस्त टक्कर दी और साथ में हॉकी भी बढ़िया तरीके से खेली।
इस फिल्म को देखने के बाद दर्शकों का अपने देश के प्रति प्यार बढ़ जाता है और वह उमंग तथा उत्साह से भरकर थिएटर से बाहर निकलता है।

MSN INDIA - चक दे इंडिया : सौ में से सौ

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