भारतीय सिनेमा में तीन अभिनेता अपने आप में एक्टिंग के स्कूल हो गए हैं। दिलीपकुमार/राजकपूर और देव आनन्द। इनमें से देव आनन्द तथा दिलीपकुमार हमारे बीच मौजूद हैं। राज साहब को बिदा हुए भले ही दो दशक हो गए हों, उनकी परछाइयाँ हमारे इर्द-गिर्द मौजूद हैं। इन तीनों अभिनेताओं ने अपनी प्रतिभा तथा लगन के आधार पर अभिनय के नए कीर्तिमान रचे और आने वाली पीढ़ियों को अभिनय का ककहरा सिखाया। उसे हम शाहरुख खान/अमिताभ बच्चन जैसे कलाकारों में महसूस कर सकते हैं।
देव साहब का फिल्म करियर छह दशक से अधिक लंबा है। इतना कालखंड एक इतिहास बनाने के लिए काफी है। आज वे जीवित किवदंती बने हुए हैं। इस जन्मदिवस (26 सितंबर) के अवसर पर उनकी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ प्रकाशित हो रही है। उसके जरिए हिन्दी सिनेमा के इतिहास का एक शिलालेख हमारे सामने आएगा।
आइए इस प्रसंग पर हम देव साहब के जीवन के कुछ अनछुए दिलचस्प पहलुओं को जानें-
आशावादी सिनेमा
देव आनन्द के सिनेमा का सबसे सुखद पहलू यह है कि उनकी फिल्में मनोरंजन और सिर्फ मनोरंजन करती हैं। उनमें गीत हैं, संगीत है, जीवन का उल्लास है और एक आशावादी दृष्टिकोण। उन्होंने अपनी बॉडी लैंग्वेज/रहन-सहन/चाल-ढाल/पोशाख और हावभाव के जरिए आजाद भारत के नौजवानों को स्मार्ट रहना सिखाया है। वे हमेशा युवा वर्ग खासकर युवतियों से सदैव घिरे रहे, इसलिए चौरासी साल की इस उम्र में भी सदाबहार बने हुए हैं। उन्होंने अपनी फिल्मों में सदैव नई नवेली नायिकाओं को मौका दिया और बॉलीवुड में स्थापित किया। ..........
(स्रोत : वेबदुनिया)
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