अच्छी अभिनेत्री होने के बावजूद ईशा देओल और सफलता के बीच फासला है। ईशा को जरूरत है एक बड़ी हिट फिल्म की। इस समय ईशा रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘डार्लिंग’ को लेकर चर्चित हैं। यह फिल्म ईशा और सफलता के बीच का फासला मिटा सकती है। पेश है ईशा से बातचीत :
- ‘डार्लिंग’ में क्या है?
-यह एक थ्रिलर फिल्म है, जिसमें हास्य का भी पुट है। मैं इसमें गीता नामक चरित्र निभा रही हूँ, जो फरदीन की सेक्रेटरी रहती है। उन दोनों के बीच अफेयर है।
परिस्थितिवश गीता की मौत हो जाती है। उसके कुछ काम अधूरे हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए वह वापस आती है।
- लगता है ‘अनकही’ के बाद ‘डार्लिंग’ में आपको अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है?
-बिलकुल सही है। रामगोपाल वर्मा ने मेरे चरित्र को बखूबी उभारा है। मुझे अपनी भूमिका निभाने में मजा आया।
- फिल्म का नाम ‘डार्लिंग’ सुनने के बाद आपने कैसा महसूस किया?
-’डार्लिंग’ बहुत प्यारा नाम है। आप जिससे भी प्यार करते हैं, उसे डार्लिंग, स्वीटी या बेबी कहकर पुकारते हैं। डार्लिंग शब्द इन सभी में श्रेष्ठ है। मैं अपने कुत्ते को डार्लिंग कहकर बुलाती हूँ।
- रामगोपाल वर्मा के निर्देशन में अभिनय करना आपको कैसा लगा?
-जब मैंने सुना रामगोपाल वर्मा इस फिल्म का निर्देशन करने वाले हैं, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनके निर्देशन में काम करने का अनुभव अद्भुत है।
- इस फिल्म में आपका पसंदीदा गाना कौन-सा है?
इस फिल्म का निर्माण टी-सिरीज ने किया है, इसलिए फिल्म का संगीत अच्छा तो होना ही था। फिल्म में हिमेश और प्रीतम ने संगीत दिया है। मेरा पसंदीदा गाना ‘तड़प’ है।
- इस फिल्म में ईशा कोप्पिकर आपकी सौतन बनी हैं। उनके साथ कैसा अनुभव रहा?
-मैं ज्यादातर अपनी सहनायिकाओं के साथ दोस्ताना व्यवहार नहीं कर पाती हूँ। ईशा भी अपने काम से काम रखती हैं और आपको अपना काम करने देती हैं।
- और फरदीन?
-फरदीन के साथ काम करना हमेशा से ही अच्छा लगता है। वे स्वार्थी कलाकार नहीं हैं। वे हमेशा मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।- आपने फरदीन के साथ जो भी फिल्में की हैं, वे बॉक्स ऑफिस पर कुछ कमाल नहीं दिखा सकीं?
-ये मेरे हाथ में नहीं है। मैं मात्र अभिनेत्री हूँ।
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