- समय ताम्रकर
निर्माता : रामगोपाल वर्मा
निर्देशक : रामगोपाल वर्मा
कलाकार : अमिताभ बच्चन, मोहनलाल, सुष्मिता सेन, अजय देवगन, निशा कोठारी, प्रशांत राज
‘रामगोपाल वर्मा की शोले’ का नाम अब बदलकर ‘रामगोपाल वर्मा की आग’ कर दिया गया है। ‘शोले’ को आधार बनाकर रामगोपाल वर्मा ने इस फिल्म का निर्माण किया है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो रामू ने ‘शोले’ का शहरीकरण कर दिया है। फिल्म की कहानी बब्बन (अमिताभ बच्चन) और इंसपेक्टर नरसिम्हा (मोहनलाल) के इर्दगिर्द घूमती है।
बब्बन बहुत ही खूँखार व्यक्ति है। उसे अपने शिकार को मारना बेहद पसंद है। उसे चुनौती देने वाले लोग बेहद भाते हैं। क्योंकि उन लोगों को मौत के घाट उतारने का आनंद ही कुछ और है।
इंसपेक्टर नरसिम्हा अपने कर्तव्य का पूरे मन से पालन करते हैं। बब्बन को पकड़ना उनका मुख्य उद्देश्य है। इस काम में वे मदद लेते हैं राज रानाडे (प्रशांत राज) और हीरेन्द्र चव्हाण (अजय देवगन) की।
लातूर में रहने वाले इन दोनों युवकों के बीच गहरी दोस्ती है। बेरोजगार होने की वजह से वे काम की तलाश में मुंबई आते हैं। दोनों साहसी और शक्तिशाली है।
घुँघरू (निशा कोठारी) और दुर्गा देवी (सुष्मिता सेन) फिल्म में दो नायिकाएँ हैं। घुँघरू ‘लैला’ नामक रिक्शा चलाती है और हरदम ऐसे रहती है जैसे कि वह लड़का हो। दुर्गा एक नर्स है। जिंदगी ने उसके साथ क्रूर मजाक किया है, इसलिए वह बिलकुल खामोश है।
कहा जाता है कि बब्बन को किसी ने नहीं देखा है। जिसने देखा वह इस दुनिया में नहीं रहा। इंसपेक्टर नरसिम्हा को पूरा विश्वास है कि वह बब्बन को खत्म करेगा। आगे क्या होगा देखिए ‘रामगोपाल वर्मा की आग’ में।
No comments:
Post a Comment